मेरे जीवन के सुने पन में कुछ धुंधली स्मृतिया शेष
कुछ काँटों की चुभन ओर कुछ पुष्पों के कोमल अवशेष
है एंकात किन्तु सन्नाटे में भी है एक कोलाहल
रह रह क्यों याद है आते बीत गए वो बीते पल
क्यों याद आता है उसका पथ
Poem from my heart
मेरे जीवन के सुने पन में कुछ धुंधली स्मृतिया शेष
कुछ काँटों की चुभन ओर कुछ पुष्पों के कोमल अवशेष
है एंकात किन्तु सन्नाटे में भी है एक कोलाहल
रह रह क्यों याद है आते बीत गए वो बीते पल
क्यों याद आता है उसका पथ