poetry by kavi chavi

Friday, January 18, 2013

........................( 1 )...........................................

"अभी -अभी .................................................
 अभी-अभी तो उसके गालों पर लाली भर आई थी
 अभी-अभी तो उसके माथे की बिंदिया मुस्काई थी

 अभी-अभी तो उसके सपनो ने सम्बोधन पाए थे
 अभी-अभी उसके श्रृंगारों ने नवगीत सुनाये थे

 अभी-अभी उसके आँचल में चाँद-सितारे उभरे थे
 अभी-अभी उसकी आँखों में कितने बादल उतरे थे

 अभी-अभी उसके संकोचो ने अपने पर खोले थे
 अभी-अभी तो उसके कंगन सात सुरों में बोले थे

 अभी-अभी उसकी पायल को पनघट ने पहचाना था
 अभी-अभी उतरी मेंहदी को फुलवारी ने जाना था

 अभी-अभी उसके मन ने था रास रचा वृन्दावन का
 अभी-अभी उसकी आहट पर नाच उठा  घर आँगन था

 अभी-अभी बस अभी अभी तो उसने जीवन जाना था
 अभी-अभी बस अभी-अभी तो प्रियतम का सुख माना था  ........................

 ............................( 2 ).......................................


अभी-अभी ......................
 अभी-अभी थी चिट्ठी आई ..............................

"छत की टूटी खपरेलों का
 खेंतों की अनगढ़ मेड़ों का

 अम्मा-बाबू की छाती का 
 बहना की पावन पाती का

अपनों के स्नेहिल क्षण का
गाँव की मिटटी के कण का

यार-दोस्तों की बातों का
तुम बिन काटे दिन रातों  का

मूल-ब्याज सब लौटाऊँगा
मैं इस सावन को आऊंगा  .............................


...............................( 3 )...............................

 अभी  -अभी .................

 अभी-अभी फिर  सरहद कांपी ,बारूदों का शोर हुआ
  अभी-अभी  संदेशा  आया ,युद्ध घोर घन-घोर हुआ

 अभी -अभी संदेशा आया  वो अब लौट न पायेगा
 लेकिन उसकी वीरगती  को युग-युग गाता जाएगा

 अभी-अभी संदेशा आया .............

..........................( 4 )................................

अभी-अभी ...............................

अभी-अभी उसके सपने, सरहद की आंधी तोड़ गई
अभी-अभी उसके श्रृंगारों  को नियति झकझोर गई

अभी-अभी उसकी आँचल से  चाँद-सितारे बिखर गए
अभी-अभी उसकी आँखों में दुःख के बादल उतर गए  

अभी-अभी उसकी पायल के एक-एक घुंघरू टूट गए
अभी-अभी उतरी मेंहदी को ,काल भरे क्षण लूट गए

अभी अभी अम्मा -बाबू की छाती पर वज्राघात हुआ