........................( 1 )...........................................
"अभी -अभी .................................................
अभी-अभी तो उसके गालों पर लाली भर आई थी
अभी-अभी तो उसके माथे की बिंदिया मुस्काई थी
अभी-अभी तो उसके सपनो ने सम्बोधन पाए थे
अभी-अभी उसके श्रृंगारों ने नवगीत सुनाये थे
अभी-अभी उसके आँचल में चाँद-सितारे उभरे थे
अभी-अभी उसकी आँखों में कितने बादल उतरे थे
अभी-अभी उसके संकोचो ने अपने पर खोले थे
अभी-अभी तो उसके कंगन सात सुरों में बोले थे
अभी-अभी उसकी पायल को पनघट ने पहचाना था
अभी-अभी उतरी मेंहदी को फुलवारी ने जाना था
अभी-अभी उसके मन ने था रास रचा वृन्दावन का
अभी-अभी उसकी आहट पर नाच उठा घर आँगन था
अभी-अभी बस अभी अभी तो उसने जीवन जाना था
अभी-अभी बस अभी-अभी तो प्रियतम का सुख माना था ........................
............................( 2 ).......................................
अभी-अभी ......................
अभी-अभी थी चिट्ठी आई ..............................
"छत की टूटी खपरेलों का
खेंतों की अनगढ़ मेड़ों का
अम्मा-बाबू की छाती का
बहना की पावन पाती का
अपनों के स्नेहिल क्षण का
गाँव की मिटटी के कण का
यार-दोस्तों की बातों का
तुम बिन काटे दिन रातों का
मूल-ब्याज सब लौटाऊँगा
मैं इस सावन को आऊंगा .............................
...............................( 3 )...............................
अभी -अभी .................
अभी-अभी फिर सरहद कांपी ,बारूदों का शोर हुआ
अभी-अभी संदेशा आया ,युद्ध घोर घन-घोर हुआ
अभी -अभी संदेशा आया वो अब लौट न पायेगा
लेकिन उसकी वीरगती को युग-युग गाता जाएगा
अभी-अभी संदेशा आया .............
..........................( 4 )................................
अभी-अभी ...............................
अभी-अभी उसके सपने, सरहद की आंधी तोड़ गई
अभी-अभी उसके श्रृंगारों को नियति झकझोर गई
अभी-अभी उसकी आँचल से चाँद-सितारे बिखर गए
अभी-अभी उसकी आँखों में दुःख के बादल उतर गए
अभी-अभी उसकी पायल के एक-एक घुंघरू टूट गए
अभी-अभी उतरी मेंहदी को ,काल भरे क्षण लूट गए
अभी अभी अम्मा -बाबू की छाती पर वज्राघात हुआ
"अभी -अभी .................................................
अभी-अभी तो उसके गालों पर लाली भर आई थी
अभी-अभी तो उसके माथे की बिंदिया मुस्काई थी
अभी-अभी तो उसके सपनो ने सम्बोधन पाए थे
अभी-अभी उसके श्रृंगारों ने नवगीत सुनाये थे
अभी-अभी उसके आँचल में चाँद-सितारे उभरे थे
अभी-अभी उसकी आँखों में कितने बादल उतरे थे
अभी-अभी उसके संकोचो ने अपने पर खोले थे
अभी-अभी तो उसके कंगन सात सुरों में बोले थे
अभी-अभी उसकी पायल को पनघट ने पहचाना था
अभी-अभी उतरी मेंहदी को फुलवारी ने जाना था
अभी-अभी उसके मन ने था रास रचा वृन्दावन का
अभी-अभी उसकी आहट पर नाच उठा घर आँगन था
अभी-अभी बस अभी अभी तो उसने जीवन जाना था
अभी-अभी बस अभी-अभी तो प्रियतम का सुख माना था ........................
............................( 2 ).......................................
अभी-अभी ......................
अभी-अभी थी चिट्ठी आई ..............................
"छत की टूटी खपरेलों का
खेंतों की अनगढ़ मेड़ों का
अम्मा-बाबू की छाती का
बहना की पावन पाती का
अपनों के स्नेहिल क्षण का
गाँव की मिटटी के कण का
यार-दोस्तों की बातों का
तुम बिन काटे दिन रातों का
मूल-ब्याज सब लौटाऊँगा
मैं इस सावन को आऊंगा .............................
...............................( 3 )...............................
अभी -अभी .................
अभी-अभी फिर सरहद कांपी ,बारूदों का शोर हुआ
अभी-अभी संदेशा आया ,युद्ध घोर घन-घोर हुआ
अभी -अभी संदेशा आया वो अब लौट न पायेगा
लेकिन उसकी वीरगती को युग-युग गाता जाएगा
अभी-अभी संदेशा आया .............
..........................( 4 )................................
अभी-अभी ...............................
अभी-अभी उसके सपने, सरहद की आंधी तोड़ गई
अभी-अभी उसके श्रृंगारों को नियति झकझोर गई
अभी-अभी उसकी आँचल से चाँद-सितारे बिखर गए
अभी-अभी उसकी आँखों में दुःख के बादल उतर गए
अभी-अभी उसकी पायल के एक-एक घुंघरू टूट गए
अभी-अभी उतरी मेंहदी को ,काल भरे क्षण लूट गए
अभी अभी अम्मा -बाबू की छाती पर वज्राघात हुआ