दहशत में जो सूख गया गौर से सुनो जरा ,
युद्ध युद्ध युद्ध ये दरख्त की पुकार है !! .............................जय हो जय हो ....जय हो ....आदरणीय अशोक जी ......क्रिया जितनी तीव्र हो ....प्रतिक्रिया भी उतनी ही तेज और असरकारक होनी चाहिए ... कविता के इस स्वाभाविक आक्रोश ने रक्तसंचार की गति बाधा दी .......सादर।