दो घडी और जियें दिल में ये हरसत न रही
आज जब दुनियां में इन्सान की कीमत न रही
तंग दिल वालों की क्या बात करें हम यारों
इस जमानें के शरीफों में शराफत न रही
देख जिसको निगाहें बर्फ सी जम जाएँ कहीं
बाजारे-हुश्न में अब ऐसी नज़ाक़त न रही
आज भी देख कर नज़रें झुका चल देते हैं
कैसे कह दें की उन्हें हमसे मोहब्बत न रही
बंद कमरे में तोड़ते है रिश्ते रोज़ मगर
ज़ल्सों में कहते है अब कोई खिलाफत न रही
एक हम है की उनका नाम लिए जाते हैं
एक वो है की उन्हें हमसे मोहब्बत न रही .../
२२/०१/२०१०
आज जब दुनियां में इन्सान की कीमत न रही
तंग दिल वालों की क्या बात करें हम यारों
इस जमानें के शरीफों में शराफत न रही
देख जिसको निगाहें बर्फ सी जम जाएँ कहीं
बाजारे-हुश्न में अब ऐसी नज़ाक़त न रही
आज भी देख कर नज़रें झुका चल देते हैं
कैसे कह दें की उन्हें हमसे मोहब्बत न रही
बंद कमरे में तोड़ते है रिश्ते रोज़ मगर
ज़ल्सों में कहते है अब कोई खिलाफत न रही
एक हम है की उनका नाम लिए जाते हैं
एक वो है की उन्हें हमसे मोहब्बत न रही .../
२२/०१/२०१०