poetry by kavi chavi

Sunday, January 3, 2010

aasha

................उल्लास ...............

जीवन में उल्लास जरुरी

कोई अपना पास जरुरी

धरती के अस्तित्व के लिए

होता है आकाश जरुरी



स्वप्न भले ही झूटे हो पर

स्वप्न चाहिए आँखों में

समय चक्र का पथ अनिश्चित

दृढ निसचै हो बातो में

मीलो तक चलते जाना हो

तो एक छड अवकाश जरुरी

जीवन में उल्लास जरुरी
कोई अपना पास जरुरी ......

आहत मन की तुलना में
हर शब्द अधुरा होता है
किन्तु मौन अधरों का
अपने अर्थ कभी न खोता है
लहरों की व्याकुलता का
होता है आभास जरुरी

जीवन में उल्लास जरुरी
कोई अपना पास जरुरी .....

दुःख मानव की नियति नहीं है
सुख भी अंतिम सत्य नहीं
जीवन के इस महामंच में
होता है नेपथ्य नहीं
कल्पनाओ को बांध सके जो
ऐसा कोई पाश जरुरी

जीवन में उल्लास जरुरी
कोई अपना पास जरुरी
धरती के अस्तित्व के लिए
होता है आकाश जरुरी ।

०४/०१/२०१०

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