poetry by kavi chavi

Sunday, January 3, 2010

नेमत

..............जिंदगी .....................

जिंदगी सिगरेट जैसी तो नहीं
ज़िन्दगी कप प्लेट जैसी तो नहीं
ज़िन्दगी का दूसरा है नाम मकसद
ज़िन्दगी कोई भेट जैसी तो नहीं

जोश है तो ज़िन्दगी है दिलरुबा
होश है तो ज़िन्दगी शहनाई है
ज़िन्दगी है सांस के चलने ही तक
बाद मरने के किसे मिल पाई है

कोई लिखकर कोई दे उसको मिटा
ज़िन्दगी इक स्लेट जैसी तो नहीं
ज़िन्दगी सिगरेट जैसी तो नहीं......

ज़िन्दगी बूढ़े की आँखों की जवानी
ज़िन्दगी सूखे हुए दरिया का पानी
ज़िन्दगी रूठे हुए बच्चे की ख्वाहिश
ज़िन्दगी बस ज़िन्दगी जैसी कहानी

ज़िन्दगी इस छोर से उस छोर तक है
ज़िन्दगी बंद फ्लेट जैसी तो नहीं
ज़िन्दगी सिगरेट जैसी तो नहीं .......

मौत से हर शक्ल में आसान है जीना
जी के देखो ज़िन्दगी फिर चूमती है
सर्द रातों और तपती धूप में ही
मुस्कुराती ज़िन्दगी फिर झूमती है

ज़िन्दगी के रास्ते सब के लिए हैं
ज़िन्दगी घुसपेठ जैसी तो नहीं
ज़िन्दगी सिगरेट जैसी तो नहीं ।

०४/०१/२०१०



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