poetry by kavi chavi

Wednesday, January 6, 2010

चिट्ठी

......चिट्ठी ..............

हमने नहीं लिखी चिट्ठी
बहुत दिनों से /एक दूसरे को
नहीं हुआ ...
शब्दों का व्यापार भी
हमारें बीच /बहुत दिनों से ...
याद है /उसने लिखा था
अपनें अंतिम पत्र में
की क्यूं नहीं लिखता मैं
कोई कविता /पत्र के अंत में
उसे यह भी शिकायत थी
की मैं जानबूझकर /नहीं देता
अपने पत्र को विस्तार ...
मानता हूँ
जायज़ है उसकी शिकायत
फिर भी नहीं चाहता ...
आ खड़ा हो /एक सच
हमारे बीच ...
अब हम /शब्दों के भीतर नहीं
शब्दों के बीच आ चुके अन्तराल में हैं ...//
०६ /०१/ २०१०

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