poetry by kavi chavi

Sunday, January 20, 2013


ओ मेरी नव तरुनाई के पहले सपने, तूने मेरे जीवन को संचार दिया है ...
वाह सुन्दर बहुत सुन्दर प्रारंभ ....आदरणीय सलिल जी सुबह मोबाईल पर आपके इस गीत की प्रारंभिक पंक्तियों को ही पढ़ पाया था ....प्राम्भिक पंक्ति में ही ..सुन्दरतम प्रवाह के साथ विस्तार पाने की असीम संभावनाएं समझ आई थी ......
अभी कुछ क्षण पहले ही इस रचना को पूरा पढ़ पाया .......सुन्दर बहुत सुन्दर गीत बन पड़ा है .......है सलिल जी .....जितना सुन्दर प्रारंभ है .....उतना ही सुन्दर अंत ....
" मैं आभारी चिर कृतज्ञ तेरा हूँ सपने, तूने मम गंतव्य को इक आकार दिया है।।
ओ मेरी नव तरुनाई के पहले सपने,तूने मेरे जीवन को संचार दिया है .....सुन्दर बहुत सुन्दर .......बस प्रथम पंक्ति के साथ ही अपेक्षायें कुछ अधिक हो उठी अथवा .....गीत में कुछ प्रवाह बाधा ... कुछ जगह पर शब्द चयन में समझौता .....ये छोटी छोटी वजहें रहीं ..जिनसे एक साँस में पुरे गीत को नहीं पढ़ सका ....कुछ जगह विराम दे कर शब्द -भाव को समझने काप्रयास करना पड़ा .....निःसंदेह सुन्दर पररम्भ एवं अंत के बीच में कुछ तो बाधा है ...जिसे साधने पर यह सुन्दर गीत ...और अधिक सुन्दर हो उठेगा ...सादर .....


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