..........जेहाद ...........
अभी..अभी... तो उसने शुरू किया था
उड़ना......
दिखा दिया तुमने / आसमान का डर
अभी कुछ छड पहले ही तो
भर आये थे / रंग बिरंगे स्वप्नों के इन्द्रधनुष
उसकी आँखों में
की काँप उठी पलकें
....और तुमने क्यों समझा दिए
हलके शब्दों के गहरे अर्थ
वह अभी मंजिल तय ना कर पाया था
की तुमने उसे राह बता दी
वह जीना चाहता था / जीवन को
किसी प्रार्थना की तरह
उसकी हथेली पर मौत कहाँ से उग आयी
ओ मसीहा ......
काश की तुम देख पाते
गोली चलाने से पहले
उसकी कांपती उँगलियों को
.....और बहुत जीवन बच जाते
रह जाते जीवित प्रार्थना के बोल
स्वप्न / इन्द्रधनुषी रंग
उड़ पाता वह ऊंचाई तक
हलके शब्दों के मासूम अर्थो के साथ
निश्चित ही वह जीना चाहता था / जीवन को
किसी प्रार्थना की तरह ....................
०४/०१/२०१०
अभी..अभी... तो उसने शुरू किया था
उड़ना......
दिखा दिया तुमने / आसमान का डर
अभी कुछ छड पहले ही तो
भर आये थे / रंग बिरंगे स्वप्नों के इन्द्रधनुष
उसकी आँखों में
की काँप उठी पलकें
....और तुमने क्यों समझा दिए
हलके शब्दों के गहरे अर्थ
वह अभी मंजिल तय ना कर पाया था
की तुमने उसे राह बता दी
वह जीना चाहता था / जीवन को
किसी प्रार्थना की तरह
उसकी हथेली पर मौत कहाँ से उग आयी
ओ मसीहा ......
काश की तुम देख पाते
गोली चलाने से पहले
उसकी कांपती उँगलियों को
.....और बहुत जीवन बच जाते
रह जाते जीवित प्रार्थना के बोल
स्वप्न / इन्द्रधनुषी रंग
उड़ पाता वह ऊंचाई तक
हलके शब्दों के मासूम अर्थो के साथ
निश्चित ही वह जीना चाहता था / जीवन को
किसी प्रार्थना की तरह ....................
०४/०१/२०१०
very good... qya likhate ho .
ReplyDeleteaapne bahut hi gambhir vishya uthaya
ReplyDeletethanks.
be continue
varunendra pandey