ना प्रेम पुष्प खिल सके ....
विदीर्ण हो गया ह्रदय
न सुर रहा रही न लय
नस-नस में मॉस पिंड के
था मच रहा महाप्रलय
स्नेह के क्षण मात्र भी न मिल सके
न प्रेम पुष्प खिल सके .......
मै छाँव की तरह रहा
वो धूप, जो न ढल सकी
पतंगे सा मै जल गया
वो मोम न पिघल सकी
जो घाव ह्रदय में हुए न सिल सके
न प्रेम पुष्प खिल सके ......................................||
१२/०४/2011
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