बहुत दिनों के बाद याद आई बूढी माँ
स्मृतियों का ढेर साथ लाइ बूढी माँ
उसकी बाहें मेरा बचपन
घर का वह छोटा सा आँगन
कभी मचलता कभी संभलता
वह नन्हा प्यारा सा जीवन
मै जब भी मुस्काया, मुस्काई बूढी मां
बहुत दिनों के बाद याद आई बूढी माँ
उसकी गोदी राज सिंहासन
उसका आँचल अमृत का घन
उसकी बांते वीणा का स्वर
उसकी आँखे स्वप्निल मधुबन
घटा भांति मन पर छाई बूढी माँ
बहुत दिनों के बाद याद आई बूढी माँ
माँ का वह सिमटा सा जीवन
चक्की ,चूल्हा ,झाड़ू ,बर्तन
बेलन ,चिमटा, फुकनी ,संसी
स्थिर जीवन ,नत परिवर्तन
चटनी बेसन की रोटी लाइ बूढी माँ
बहुत दिनों के बाद याद आई बूढी माँ ...||
No comments:
Post a Comment