poetry by kavi chavi

Tuesday, April 12, 2011

samay

मैंने खो दिया है समय को
और उस खोय हुए समय के साथ /
खुद को...
याद नहीं /हुआ हो हमारे बीच
कभी कोई वार्तालाप ...
समय ने मुझ पर
या मैंने समय पर
किया हो कोई हस्ताछर /इसका भी कोई प्रमाण नहीं ...
हम बस देखते रहे
एक ही राह में
...किन्तु भिन्न दिशाओं में
एक दूसरे को गुजरते
इस कोशिश में
की गुजर जाएँ
बिना आवाज दिए
एक दूसरे को /
...और इस तरह की यात्रा
मैंने और मेरे समय ने ...||
                                                १२/०४/2011


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